जीने के लिए सोचा ही ना था, दर्द संभालने होंगे
मुस्कुराऊँ तो, मुस्कुराने के क़र्ज़ उतारने होंगे
मुस्कुराऊँ कभी तो लगता है
जैसे होंटों पे क़र्ज़ रखा है
आज अगर भर आई है, बूँदें बरस जायेंगी
कल कया पता इनके लिए आखें तरस जाएँगी
जाने कहाँ गम कहाँ खोया
एक आंसू छुपाके रखा था
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