Friday, May 23, 2008

Jane ki addat hai

रास्ते में ही छोड़कर उन्हे जाने कि आदत है

वो मेरे हर सच से खुश होती,
जिसे हमेशा झूठ बोलने की आदत थी,
वो एक आंसू भी गिरने पर खफा होती थी,
जिसे तन्हाई में रोने की आदत थी,
वो कहती थी की मुझे याद रखोगे,
जिसे मेरी हर बात भूल जाने की आदत थी,
रोज़ गलतियां के बहाने से,
हमेशा माफ़ी मांगने की उसकी आदत थी,
वो जो दिल जान न्योछावर करती थी मुझ पर,
मगर छोटी सी बात पर रूठना उसकी आदत थी,
हम उसके साथ चल दिए पर ये नहीं जानते थे,
की रास्ते में ही छोड़कर उन्हे जाने कि आदत है,,,

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